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Post: दस दिन में चार ही पुल गिरे है, पुल हादसे पर तेजस्वी का तंज पीएम व सीएम पर किया हमला

दस दिन में चार ही पुल गिरे है, पुल हादसे पर तेजस्वी का तंज पीएम व सीएम पर किया हमला

विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने बिहार में पुल गिरने की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है

न्यूज डेस्क, राजधानी पटना

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। बिहार में बीते दस दिनों में पुल गिरने की चार चार घटनाओं पर राजनीति चरम पर है। सत्ता पक्ष के नेता जहां हादसों जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कह रहे हैं तो विपक्षी दल इन घटनाओं के लिए डबल इंजन की सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर हमला कर रहे हैं। इस बीच बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने बिहार में पुल गिरने की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के सदाचार के कारण मात्र 10 दिन के अंदर बिहार में करोड़ों की लागत से निर्मित और निर्माणाधीन केवल 4 ही पुल गिरे है।

शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर तेजस्वी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के सदाचार के कारण मात्र 10 दिन के अंदर बिहार में करोड़ों की लागत से निर्मित और निर्माणाधीन केवल 4 ही पुल गिरे है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी/NDA की सरकार है तो सत्ता पक्ष और उनका अभिन्न अंग गोदी मीडिया इसे भ्रष्टाचार तो कदापि ही नहीं कह सकते। डबल इंजन सरकार के पायलट अब कहेंगे कि शुक्र मनाओ कि 10 दिन में 4 ही पुल गिरे है, 10 तो नहीं गिरे है ना। ये पायलट यह भी कहेंगे कि पुल गिरने के दोषी तो विपक्ष और जनता है? इससे पहले अररिया, सीवान और पूर्वी चंपारण में पुल गिरने की घटनाओं के बाद भी तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार दोनों के खिलाफ सोशल मीडिया पर मोर्चा खोला था। बीते 23 जून को भी तेजस्वी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट डालकर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी पर जोरदार जुबानी हमला बोला था। पीएम मोदी और बिहार सीएम नीतीश कुमार के भाषणों की नकल करते हुए तेजस्वी यादव ने जो लिखा था उसे हम आपके सामने हूबहू पेश कर रहे हैं। 18 वर्षों के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बेचारे दो-दो उपमुख्यमंत्री तो इन सबके बारे में जानते ही नहीं है। जानकर कर भी क्या लेंगे? ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? डबल इंजनधारी लोग कह देंगे कि पुल ख़ुदक़ुशी कर रहे है या चूहे पुल कुतर रहे है। प्रधानमंत्री जी कहेंगे, “भाइयों-बहनों, चुपचाप पुल गिरते हुए देखो नहीं तो कथित जंगलराज आ जाएगा। पुल गिरना है। ये मोदी की गारंटी से भी बड़ी गारंटी वाले पुल थे लेकिन ईश्वर की मर्जी के आगे कंक्रीट के पुल की क्या मजाल? मित्रों, बोलो- जय श्री राम! मुख्यमंत्री कहेंगे कि, “पहले पुल गिरता था जी? अब हम लोग एक साथ आ गए है तो पुल गिर रहे है। जान लीजिए, एक-एक पुल गिर रहा है। गिर रहा है तो गिर रहा है। ऊ लोग इ किया है जी? ऊ लोग नदी और पानी के साथ मिल ई सब गड़बड़ करता रहता है। हम सब जाँच कराएंगे। बिहार में मॉनसून के आगमन के साथ पुलों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया। दस दिनों में चार पुल तबाह हो गए। सबसे पहले 18 जून को अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर 12 करोड़ का एक पुल गिरने का मामला सामने आया। विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला लेकिन सिलसिला नहीं थाम। इसके चार दिन बाद 22 जून को सिवान के दरौंदा और महाराजगंज ब्लॉक को जोड़ने वाली गंडक नहर पर बना पुल ध्वस्त हो गया जिससे आस पास की आबादी परेशान हो गई। तीसरा पुल पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में 23 जून को गिरा। यहां घोड़ासहन ब्लॉक में एक पुल निर्माण का कार्य चल रहा था। रात में पुल की ढलाई हुई और सुबह पुल ढह गया। इसके बात किशनगंज में पुल हादसा हुआ। जिले के बहादुरपुर में मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाया गया 13 साल पुराना पुल बाढ़ के पानी में धंस गया। 2011 में इसका निर्माण 25 लाख की लागत से कराया गया था। इस पुल के धंसने से आसपास के लगभग 40 हजार लोगों का जनजीवन प्रभावित हो गया।

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