विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
जो नही कर पाये केके पाठक वह कर पायेगे एस सिध्दार्थ
न्यूज डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। बिहार में 69 फीसदी प्रारंभिक स्कूल छात्र-शिक्षक अनुपात का मानक पूरा नहीं करते। बिहार शिक्षा परियोजना की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षकों की पर्याप्त संख्या के बावजूद पदस्थापन में गड़बड़ी के कारण यह स्थिति है।
प्रारंभिक स्कूलों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक तो माध्यमिक में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक है। 79 फीसदी हाईस्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात मानक से कम है। एक तरफ इन स्कूलों में छात्रों के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं तो दूसरी तरफ सूबे के 5063 स्कूलों ऐसे भी हैं, जहां बच्चों की संख्या के अनुसार जरूरत से अधिक शिक्षक हैं। बिहार के सरकारी स्कूलों में छात्र अनुपात में शिक्षकों के कम होने की संख्या में हालांकि पहले की अपेक्षा स्थिति सुधरी है। पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इसमें सुधार लाने के काफी प्रयास किए। लाखों की संख्या में शिक्षकों की बहाली भी की गई। सात साल पहले 81 स्कूल ऐसे थे, जो मानक पूरा नहीं करते थे। इसमें 12 फीसदी कमी आई है। वहीं, आवश्यक्ता से अधिक शिक्षक वाले विद्यालय सात साल में घटने की बजाए बढ़ गए हैं। बीच के कुछ सालों में आंकड़ा घटता-बढ़ता रहा है। लेकिन मानक पूरा नहीं हो सका। अब नये अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ पर सारी उम्मीदें टिकी हैं।
साल 2016 में ऐसे विद्यालय 2708 थे, वहीं 2017 में 4392 विद्यालय हो गए। इसके बाद वर्ष 2018 में 5164, वर्ष 2019 में 6236, साल 2020 में 5888, 21-22 में 5307 और 22-23 में 5063 आंकड़ा रहा है। आवश्यक्ता से अधिक शिक्षक वाले हाईस्कूलों की संख्या 1364 है। सात साल पहले यह संख्या 2011 थी। स्थिति में अब सुधार आया है।मुजफ्फरपुर जिले की बात करें तो यहां पर छात्रों की संख्या सात लाख, शिक्षक 20 हजार है। मुजफ्फरपुर जिले में छात्रों की संख्या के अनुपात में अब शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है, मगर सही ढंग से पदस्थापन नहीं होने के कारण 300 से अधिक स्कूल मानक को पूरा नहीं कर रहे हैं। छात्रों की संख्या लगभग सात लाख है, वहीं अब शिक्षक 20 हजार से अधिक हैं।