बेतिया से उप संपादक मोहन सिंह की रिपोर्ट :
बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ कीर्तिमान स्थापित किया है
बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ कीर्तिमान स्थापित किया है
संपादकीय डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। 29 जुलाई टाइगर- डे के रूप में मनाया जाता है है। इसकी की शुरुआत 2010 में की गई थी। बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ कीर्तिमान स्थापित किया है।
टाइगर सेंसस के बाद गत वर्ष VTR को देशभर के शीर्ष 5वें स्थान का गौरव प्राप्त हुआ और पीएम मोदी ने भी सम्मानित किया। हालांकि, उस वक्त यहां बाघों की संख्या 30 से 35 के करीब थी, लेकिन आज यहां बाघों की तादाद में निरंतर बढ़ोतरी के बाद अब यह आंकड़ा 60 के करीब जा पहुंचा है।
देश में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया। उस समय देश में मात्र 8 अभयारण्य थे। लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 53 हो चुकी है। इन्ही अभयारण्य में यूपी और नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भी शामिल है। यहां रॉयल बंगाल टाइगर पाए जाते हैं।
पड़ोसी देश नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से सटे नारायणी गण्डक नदी तट पर करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैले VTR का इलाका इंडो नेपाल सीमा के वाल्मीकिनगर से बेतिया तक है। इसे दो डिवीजन और 8 वन क्षेत्र में बांटा गया है। बाघों के संरक्षण को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्कूली छात्रों के साथ साथ जनसहभागिता की कवायद तेज है। खासतौर पर गन्ना किसानों से सहयोग को लेकर इको विकास समिति का गठन किया गया है और तो और यहां आने वाले सैलानियों से भी बाघों को बचाने की अपील की जा रही है। तभी तो स्लोगन दिया गया है ”मुझे फंदे से बचाओ … जियो और जीने दो…क्योंकि बाघ हैं तो आप हैं..”