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Post: बिहार में बन रहे सबसे बड़े पुल का स्पेन गिरा, मच सकता है सियासी बवाल

बिहार में बन रहे सबसे बड़े पुल का स्पेन गिरा, मच सकता है सियासी बवाल

विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :

नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट है यह निर्माणाधीन महासेतु…अब मचेगा सियासी बवाल 

न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना 

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु, जो कि एक महत्वपूर्ण निर्माण परियोजना है, हाल ही में एक गंभीर घटना का शिकार हुआ। नंदनी लगुनिया रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस पुल का एक स्पैन अचानक गिर गया। यह घटना रविवार की रात को हुई और इसके परिणामस्वरूप पुल निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं इस पर सियासी बवाल भी होने की उम्मीद है। इससे पहले पुलों के गिरने पर विपक्ष ने सरकार के नाक में दम कर दिया था। नीतीश सरकार ने इस पर उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई था। इस स्पैन के गिरने से पहले, इसका निर्माण नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा था। इस परियोजना की कुल लागत 1603 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी। पुल का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और इसे 2016 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 60 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है।
गिरने वाले स्पैन की ऊँचाई लगभग 50 फीट थी और यह दो पिलरों के बीच स्थापित किया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्पैन गिरने के समय तेज आवाज आई और गनीमत रही कि उस समय कोई व्यक्ति वहां नहीं था, अन्यथा यह एक बड़ा हादसा बन सकता था। स्पैन गिरने के बाद, स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि घटिया सामग्री के इस्तेमाल के कारण यह हादसा हुआ है। निर्माण एजेंसी ने हालांकि कहा है कि हादसे की जांच की जाएगी। घटनास्थल पर जेसीबी मशीनों द्वारा मलबे को हटाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे सबूत मिटाने की कोशिशें भी सामने आई हैं।
इस घटना ने बिहार सरकार को फिर से पुलों की सुरक्षा और निर्माण गुणवत्ता पर ध्यान देने को मजबूर कर दिया है। उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है ताकि पिछले कुछ समय में हुए अन्य पुल ढहने की घटनाओं की जांच की जा सके। बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जो उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच यात्रा को आसान बनाएगी और व्यापार तथा पर्यटन को बढ़ावा देगी।
बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु का स्पैन धराशायी होने से निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न उठ खड़े हुए हैं, जिससे राज्य सरकार को उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। बता दें साल 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन की नींव रखी थी. करीब 1600 करोड़ की लागत वाली यह योजना सूबे में लोक भागीदारी से बनने वाली पहली योजना है।
बिहार में पुल गिरने की घटना पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर तंज़ कसते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रहनुमाई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 6 दलों वाली डबल इंजनधारी एनडीए सरकार में पुल के गिरने से जनता के स्वाहा हो रहे हज़ारों करोड़ को स्वघोषित ईमानदार लोग ‘भ्रष्टाचार’ ना कहकर ‘शिष्टाचार’ कह रहे हैं.”बिहार में इस तरह से पुल गिरने को लेकर सियासत गर्म होने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि राज्य में लगातार इस तरह की घटना हो रही है। बता दें इससे पहले बिहार में पिछले साल गंगा नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा गिर गया था। यह पुल क़रीब 1,717 करोड़ की लागत से भागलपुर ज़िले के सुल्तानगंज और खगड़िया ज़िले के अगुवानी नाम की जगह के बीच बन रहा थी।

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