



विशेष ब्यूरो बिहार की रिपोर्ट :
यूनिवर्सिटी में पनपा प्यार, शादी तक का तय किये सफर
यह कहानी है रुचिका और किसलय एकनायके की, जो वर्ष 2019 में कोलंबो यूनिवर्सिटी में एक-दूसरे से मिले थे
न्यूज डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में शुक्रवार (18 अप्रैल) की रात एक ऐसी शादी हुई, जिसने दूरियों को नज़दीकियों में बदला, और भारत-श्रीलंका की संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरो दिया। यह कहानी है रुचिका और किसलय एकनायके की, जो वर्ष 2019 में कोलंबो यूनिवर्सिटी में एक-दूसरे से मिले थे। पहले दोस्ती, फिर प्यार और अब विवाह। यह रिश्ता एक खूबसूरत सफर बन गया। कोलंबो की गलियों से चलते-चलते यह प्रेम गंगा किनारे मुजफ्फरपुर की मिट्टी में बंधन बनकर जुड़ गया। रुचिका और किसलय के प्यार को सांस्कृतिक अंतर और भाषा ने चुनौती दी। श्रीलंका में किसलय के माता-पिता भारतीय रीति-रिवाज़ों से अनजान थे। वहीं रुचिका के परिवार को एक विदेशी रिश्ते को स्वीकारने में हिचक हो रही थी। लेकिन हर प्रेम कहानी में एक कुबेर चाचा होता है, और यहां वह भूमिका निभाई रुचिका के चाचा देवांशु किशोर ने। उन्होंने दोनों परिवारों के बीच सेतु बनकर विश्वास का दीप जलाया और इस अंतरराष्ट्रीय प्रेम कथा को पारिवारिक स्वीकृति दिलाई। शर्त तय हुई कि शादी भारत में, पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों से होगी। श्रीलंका से बारात बिहार पहुंची और पूरे मुजफ्फरपुर ने इसे गर्व और उत्सव के साथ अपनाया।बारात ढोल-नगाड़ों के साथ आई। भोजपुरी गानों पर बारातियों ने डांस किया।हल्दी, मेहंदी, जयमाला, फेरे और विदाई—बिल्कुल भारतीय अंदाज में निभाईं। इस खास मौके पर दूल्हे के पिता अरुण एकनायके ने कहा कि हम अब भारतीय शादी के फैन है। हमें शुरुआत में डर था कि हम इन जटिल रस्मों को समझ नहीं पाएंगे। लेकिन यहां की गर्मजोशी और परिवारिक अपनापन ने सब आसान कर दिया। अब तो हम भारतीय विवाह के दीवाने हो चुके है। शादी के बाद रुचिका ने आंखों में खुशी और दिल भर आया। उन्होंने कहा कि अब कोई दीवार नहीं बची है। यह सपना था जो आज पूरा हुआ। हमने संस्कृति, दूरी और भाषा जैसी कई दीवारें लांघीं, लेकिन अंत में सच्चा प्यार जीत गया। मेरे चाचा ने जो समर्थन दिया, वह हमारे इस रिश्ते की नींव है।