



बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :
वन महकमे में मचा हड़कंप
लगातार हो रही इन मौतों ने VTR में बाघों की सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं जो एक चिंता का विषय है
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। वीटीआर में गुरुवार 29 मई 25 को एक बाघ की मौत हो गई ठोरी वन क्षेत्र के कंपार्टमेंट संख्या 56 में नर बाघ का शव बरामद किया गया। इससे पहले 21 मई को दोन क्षेत्र में भी एक युवा बाघिन की संदिग्ध मौत हुई थी। लगातार हो रही इन मौतों ने VTR में बाघों की सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं जो एक चिंता का विषय है।
आपसी संघर्ष में बाघ के मौत की आशंका:
प्रमंडल 2 के डीएफओ पियूष बरनवाल ने बताया कि ‘सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि यह मौत दो बाघों के आपसी संघर्ष का नतीजा हो सकता है।
बीते सालों में कई बाघों की गई जान :
इस व्याघ्र आश्रयणी में बाघों की मौत कोई नई बात नहीं है। बीते एक दशक में दर्जनों बाघ आपसी संघर्ष, शिकार और हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं :
2013: मदनपुर वनक्षेत्र में और नौरंगिया दोन में दो बाघों की मौत (आपसी संघर्ष)।
2014: दो बाघों की मौत, एक आपसी भिड़ंत में।
2015: वाल्मीकिनगर-पनियहवा रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कटकर बाघिन की मौत।
2016: दो बाघों की खाल शिकारियों से बरामद; फरवरी में एक बाघ का शव मिला।
2018-2019: दो बाघों की आपसी संघर्ष में मृत्यु।
2021: 31 जनवरी: गोबर्धना वन रेंज में बाघ की मौत (वर्चस्व की लड़ाई)।
13 अक्टूबर: मांगुराहा रेंज में बाघ का शव मिला (संघर्ष में मौत)।
12 दिसंबरः चकरसन मानपुर में खेत में मृत पाई गई बाघिन ।
2022: 5 जनवरी: कालेश्वर मंदिर परिसर में आठ माह की मादा शावक की मौत।
एक महीने में 2 बाघों की मौत :
पिछले कुछ सालों में VTR में बाघों की संख्या भले बढ़ी हो, लेकिन मौतों की दर भी चिंता का विषय बन चुकी है। वन्यजीव विशेषज्ञ मानते हैं कि ‘अगर एक ही महीने में दो बाघों की मौत हो रही है, तो यह सिर्फ प्राकृतिक घटना नहीं हो सकती है। कहीं न कहीं मानव हस्तक्षेप, सीमित टेरिटरी या निगरानी की कमी इसका कारण बन सकती है।’