



बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :
किसान पंप सेट से धान का खेती किए हुए हैं उन्हें यूरिया खाद नहीं मिलने से तथा यूरिया का कालाबाजारी होने से भयंकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। हाय रे श्रावण मास सुबह 7:00 बजाते ही सूर्य भगवान का भीष्म प्रकोप 7:00 बजाते ही प्रचंड धूप, भीषण गर्मी एवं भारी उम्र के बीच छोटे-छोटे स्कूली बच्चे झुलसने को मजबूर हैं।

ऐसा श्रावण मास पश्चिम चंपारण के लोगों ने पिछले एक दशक में देखा ही नहीं। बच्चे स्कूल जाते समय ही मूर्छित होकर गिर जा रहे हैं और छुट्टी के समय भी यही हाल है। अधिकांश बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। लोग काफी परेशान हैं। प. चम्पारण जिला भयंकर सुखाड़ की चपेट में है, अभी तक श्रावणमास आधा बीत गया लेकिन 50 प्रतिशत से ज्यादा धान की रोपनी नहीं हो सका और जो हुआ है वह भी बारिश के अभाव में सुख रहा है।किसान बेहाल एवं परेशान है धान का बिजड़ा तक गर्मी से जल गया है। दूसरी तरफ जो किसान पंप सेट से धान का खेती किए हुए हैं उन्हें यूरिया खाद नहीं मिलने से तथा यूरिया का कालाबाजारी होने से भयंकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, किसानों की इस दुर्दशा पर सरकार का कोई ध्यान नही है, अभी तक के मौसम के मार से खरीफ फसल के अच्छे उत्पादन का कोई संकेत नही मिल रहा है। 50% से अधिक लोगों की खरीफ फसल की रोपनी नहीं हो पाई है। जिन लोगों ने स्कूल वैकल्पिक व्यवस्था का धान की रोपाई कर मिली है वह आज से झुलस कर सूख गया और पीला पड़ गया है। पानी की दूर-दूर तक कोई आसान नजर नहीं आ रहा है। इस बार मानसून ने किसने की कमर ही तोड़ दिया है और पश्चिम चंपारण सुखा की चपेट में है।