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वंश बहादुर इंटर कॉलेज में मनाया गया शिक्षक दिवस

जनपद के विकास खण्ड निचलौल अंतर्गत बहुआर कला में संचालित वंश बहादुर इंटर कॉलेज में डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया

तैयब अली चिश्ती

– अमिट लेख

महाराजगंज, (जनपद ब्यूरो)। जनपद के विकास खण्ड निचलौल अंतर्गत बहुआर कला में संचालित वंश बहादुर इंटर कॉलेज में डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।

सभी फोटो : तैयब अली चिश्ती, अमिट लेख

इस अवसर पर प्रधानाचार्य ईश्वर शरण दास, संजय कुमार, मोहम्मद यूसुफ, अनिल कुमार, धर्मेंद्र कुमार, बालमुकुंद पटेल, विनोद कुमार, इश्तियाक अली, पूजा पटेल, अमृता, अर्पणा सिंह, शबनम खातून, वंदना, सबीना खातून, सहित तमाम अध्यापक गण मौजूद रहे। शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानाचार्य ईश्वर शरण दास ने संबोधित करते हुए कहा कि जिंदगी में शिक्षक की भूमिका अहम है।

सन 1888 में जन्मे पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियां के लिए तैयार करे।

किसी भी क्षेत्र में तरक्की पाने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। इंसान की जिंदगी में कामयाबी के पीछे सबसे अहम भूमिका माता-पिता के साथ शिक्षकों की भी होती है। शिक्षक ही अपने विद्यार्थियों की जिंदगी में शिक्षा का प्रकाश भरता है। हर शिक्षक का यह स्वप्न होता है कि उसका पढ़ाया हुआ विद्यार्थी, जीवन में एक अच्छा मुकाम हासिल करें। शिक्षकों को भगवान से बढ़कर माना जाता है परंतु आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में कुछ बच्चे अपने शिक्षकों का आदर नहीं करते हैं।

शीघ्र शुभारम्भ होने जा रहा …

पीठ पीछे क्या, उनके सामने भी उनका मजाक बनाने से नहीं चुकते। एक समय था कि जब कोई भी शिक्षक, शिक्षा संस्थान के अलावा कहीं भी सामने से आता हुआ दिख जाये तो विद्यार्थी अपना रास्ता बदल लेते थे, और नहीं तो नमस्कार जरूर करते थे, परंतु आज के विद्यार्थी चौड़ी छाती करके उनके आगे से निकाल जाते हैं । जो विद्यार्थी अपने शिक्षकों का आदर नहीं करते हैं उनसे दूसरों के आदर की क्या अपेक्षा की जा सकती है? ऐसे विद्यार्थी अपने गलत व्यवहार के कारण हमेशा ही दूसरों के उपहास का पात्र बनते है। इसलिए यह जरूरी है कि अपने बच्चों को सभी का सम्मान करना सिखाए ताकि शिक्षक और विद्यार्थी का रिश्ता आदर और सम्मान से भरा हो और साथ ही यह कोशिश किया जाए की लोग इस रिश्ते को पैसे से ना तोलें। गुरु का आदर करना हमारी परंपरा का हिस्सा है और इसके पीछे भारतीय संस्कृति में गहरा मान है। हमारे पुराने ग्रंथों में भी गुरु का महत्व बहुत ऊँचा बताया गया है। गुरु का आदर करना न केवल एक शिक्षक के प्रति हमारी आभारी भावना का प्रतीक होता है, बल्कि यह एक सामाजिक मूल्य भी है जो हमें हमारे गुरुओं के प्रति गहरी आदरभावना और समर्पण के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। आज जब हम शिक्षक दिवस को मना रहे हैं, तो हमें गुरुओं का सम्मान करने का एक मौका मिल रहा है। हमें यह याद रखना चाहिए कि वे हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और हमें उनके योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना चाहिए। गुरु ज्ञान का ऐसा भंडार है जो लोहे को भी कंचन बना देता है जैसे ।

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