प्रखंड क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक निजी नर्सिंग होम अवैध तरीके से खुले हैं जहां मरीजों के इलाज के नाम पर लूट और मौत का खेल खेला जाता है
न्यूज़ डेस्क, सुपौल ब्यूरो
संतोष कुमार, अनुमंडल ब्यूरो
– अमिट लेख
त्रिवेणीगंज, (सुपौल)। प्रखंड क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक निजी नर्सिंग होम अवैध तरीके से खुले हैं जहां मरीजों के इलाज के नाम पर लूट और मौत का खेल खेला जाता है। यहां कथित दलालों के माध्यम से मरीजों को भर्ती कराया जाता है। अधिकांश के पास संसाधन चिकित्सक एवं प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी नहीं है। बीते गुरुवार को थाना क्षेत्र के डपरखा कोशी कॉलोनी चौक स्थित राशिद क्लीनिक एंड डे केअर सेंटर में मधेपुरा जिले के शंकरपुर थाना क्षेत्र के गरहा रामपुर निवासी मुन्ना सरदार के 4 वर्षीय पुत्री माही कुमारी की मौत ने एक बार फिर नर्सिंग संस्थानों में इलाज की व्यवस्था की पोल खोल दी है।
खास बात यह है कि कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहे इन निजी नर्सिंग होम पर स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है। कहा तो ये भी जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के अंदर इसका एक रैकेट संचालित है। यही वजह है कि अनुमंडलीय अस्पताल से भी मरीज को बहलाकर ऐसे निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया जाता है। नर्सिंग होम के संचालक भाड़े पर डाक्टर और स्टाफ नर्स को बुलाकर ठगी का खेल खेलते हैं। आश्चर्य की बात है कि घंटों हंगामा होने के बाद भी प्रभारी उपाधीक्षक डॉ.इंददेव यादव को इसकी भनक तक नहीं लग पाई। पूर्व में भी मुख्यालय स्थित खट्टर चौक समीप सिटी क्लीनिक में प्रसव के दौरान पहले बच्चे की मौत हो गई। उसके बाद प्रसूता की भी मौत हो गई थी। मृतका की पहचान जदिया थाना क्षेत्र के पिलुवाहा पंचायत के वार्ड नं 01 निवासी संजय मरीक की पत्नी किरण देवी के रूप में हुई थी। इस घटना में भी परिजनों ने निजी क्लीनिक पर जमकर हंगामा किया था। साथ ही चिकित्सकों व उनके कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया था। इसके बाद हंगामा शुरू होते ही क्लीनिक पर मौजूद चिकित्सक और उसके कर्मी क्लीनिक को छोड़कर भाग गए थे। त्रिवेणीगंज बाजार स्थित पुरानी बैंक चौक के समीप एक अवैध क्लिनिक में एक डेढ़ वर्षीय मासूम बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई जानकारी के अनुसार कचड़ा बेचकर गुजर बसर करने वाले नारायण मलिक ने अपने डेढ़ वर्षीय मासूम बच्चे को दस्त की शिकायत पर अपने किराए के घर के पास ही बिना बोर्ड के दवाई दुकान के पीछे गुप्त रूप से संचालित एक फर्जी क्लिनिक में इलाज के लिए लाया था। जहां पिछले सात दिनों से इनके पास ईलाज करा रहे थे। जब डेढ़ वर्षीय बच्चे की तबियत अधिक खराब हो गई तो तब बोले इसको कहीं दूसरे जगह ले जाइए परिजनों के द्वारा जब अस्पताल लाया गया तो मासूम बच्चे मौत हो गई थी।