विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 31मार्च 2015 के बाद राज्य में किसी भी अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति या नियोजन को कानूनी रूप से किया अमान्य
न्यूज डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (विशेष ब्यूरो)। हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से 31मार्च 2015 के बाद राज्य में किसी भी अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति या नियोजन को कानूनी रूप से अमान्य करार दिया। हाई कोर्ट ने यह भी तय किया कि राज्य में एक अप्रैल 2010 से लेकर 31 मार्च 2015 के बीच नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षक यदि आठ अगस्त 2021 तक या उससे पहले उक्त कानून के तहत न्यूनतम प्रशिक्षण की आहर्ता (डीएलएड कोर्स) पूरा कर लिए हैं तो उनका नियोजन को बरकरार रखा जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन, न्यायाधीश आशुतोष कुमार ऐवं न्यायाधीश राजीव राय की पूर्ण पीठ ने सकीना खातून एवं अन्य की याचिकाओं को निष्पादित करते हुए यह फैसला सुनाया। उल्लेखनीय है कि 31 मार्च 2015 की प्रभावित तिथि से बिहार में शिक्षा के अधिकार कानून लागू हुआ था जिसके तहत कोई भी शिक्षक अप्रशिक्षित नहीं हो सकता। हाई कोर्ट ने केवल उन्हीं नियोजित शिक्षकों की सेवा को बरकरार रखने का निर्देश दिया है जो 8.8.21 के कट ऑफ डेट तक या उससे पहले न्यूनतम 18 महीने का प्रशिक्षण सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुके हैं। कोर्ट ने यह भी माना की शिक्षा का अधिकार कानून, जिसे केंद्र सरकार ने एक अप्रैल 2010 से लागू किया था, लेकिन बिहार में यह कानून 31मार्च, 2015 के प्रभाव से लागू हुआ।इसलिए एक अप्रैल, 2010 से 31मार्च, 2015 के बीच नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सेवा में रहते हुए प्रशिक्षण लेने की छूट एक निर्धारित समय अवधि के लिए दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने उन नियोजित शिक्षकों को भी सेवा में रहने का मौका दिया है जिनके प्रशिक्षण कोर्स और परीक्षाएं आठ अगस्त 21 से पहले हो गई, लेकिन रिजल्ट अटका रहा या उक्त तारीख के बाद निकला था।