शिकायत पर सरकार ने लिया एक्शन
न्यूज डेस्क ,पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना(विशेष ब्यूरो)। राजधानी में एक प्राइवेट अस्पताल है पारस हॉस्पिटल इलाज में असुविधा और पैसे ‘लूटने’ की शिकायतें स्थानीय लोगों की ज़ुबान पर रहती है। सरकार तक भी बात पहुंचाई गई, सो सरकार ने एक्शन लिया। छह महीनों के लिए हॉस्पिटल इम्पैनलमेंट रद्द कर दिया गया है। भारत सरकार की योजनाओं के लाभार्थी अब वहां नहीं जाएंगे। जो भर्ती हैं, निश्चित समय तक उनका इलाज जारी रखा जाएगा। फिर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। राज्य की स्वास्थ्य एजेंसी अस्पताल को चिह्नित कर इम्पैनल करती है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना सीजीएचएस और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना एसजीएचएस के नेटवर्क के साथ जोड़ती है. इसके बाद सरकारी स्कीमों के तहत रजिस्टर्ड लाभार्थी उस अस्पताल से मेडिकल सेवाएं ले सकते हैं।किसी भी अस्पताल को पैनल में आने के लिए बुनियादी ढांचे, सुविधाओं और मेडिकल केयर की गुणवत्ता के मानकों से गुज़रना होता है। इसके बाद अस्पताल सरकारी स्कीमें लागू कर देता है।ये तो सरकारी स्कीमों को शामिल करना हुआ। दूसरा पैनल होता है, इंश्योरेंस कंपनियों का. कुछ अस्पताल बीमा कंपनी के अस्पतालों की सूची में होते हैं, कुछ नही मतलब कि बीमा कंपनी का अस्पताल के बीच कोई क़रार नहीं है। यहां कैशलेस इलाज नहीं हो सकते हैं, बीमा की सब सेवाएं नहीं ली जा सकती। पैनल से बाहर किया गया अस्पताल हटने के बाद कम से कम दो साल तक पैनल में शामिल नहीं हो सकता, न आवेदन दे सकता है।