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Post: धान के खेत में दरार देख हताश हुए किसान

धान के खेत में दरार देख हताश हुए किसान

उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं आसमान

सिचाई के लिए आकाश की ओर आश लगाए ताकना यहां के किसान की नियति बन गई है 

सुमन मिश्र

–  अमिट लेख
अरेराज, (विशेष संवाददाता)। प्रखंड क्षेत्र के किसान अपनी तकदीर पर रो रहे हैं। सिचाई के लिए आकाश की ओर आश लगाए ताकना यहां के किसान की नियति बन गई है। धान के पौधों को मानसून तरसा रहा है। लिहाजा किसानों के लिए महंगे खर्च पर निजी जलस्रोत से धान की खेती मजबूरी हो गई है।बारिश ना होने की वजह से धान का बीज ससमय नहीं गिराया जा सका। ऐसे में धान का बिचड़ा विलंब से तैयार हुआ। अब जब धान की रोपाई के लिए किसानों को बारिश की जरूरत है तो अब बारिश हल्की-फुल्की या नहीं के बराबर हो रही है। धान के बिचड़े तैयार हो जाने की वजह से थक हार कर किसान महंगे दर पर डीजल खरीद कर खेतों में पानी डाल कर धान की रोपाई के लिए खेत तैयार कर रहे हैं।रोपाई के बाद खेतो में पानी के अभाव में बड़े बड़े दरार दिखने लगे हैं जो जो अकाल को दर्शाता है।डीजल महंगे होने के बाद ट्रैक्टर का किराया भी बढ़ा दिया गया है। ऐसे में कृषि लागत में काफी वृद्धि हो गई। पैदावार होने के बाद उस अनुरूप फसल की कीमत नहीं मिल पाती है। ऐसे में खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। किसान मोहन सिंह,सुमन पांडे,मेघनाथ सिंह,पप्पू कुमार मिश्रा,सतीश सिंह आदि ने बताया कि यहां की कृषि व्यवस्था मानसून आधारित है। सिचाई व्यवस्था कमजोर होने के कारण फिलहाल जरूरत के अनुरूप निजी बोरिग से काम चला रहे हैं। जो किसान धान रोपाई कर चुके हैं उन्हें फसल बचाने की चिंता है। भेलानारी में विद्युतीकरण के बाद चोर तर काट ले गए जिस कारण पोल पर तार नही है,ऐसे में किसानों को महंगे दर पर डीजल खरीद कर सिचाई करनी पड़ रही है।पोल पर तार लगाने में शासन प्रशासन रूचि नहीं ले रहा है। ऐसे में किसानों में असंतोष व्याप्त है।अब खेती भगवान भरोसे है।ऐसी ही स्थिति बनी रही तो किसान आजीवन कर्ज में डूबा रहेगा।

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