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Post: न्यूजक्लिक तथा अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी एवं लैपटॉप, मोबाइल, कैमरे छीनने के विरुद्ध बेतिया में नागरिक मंच का प्रतिवाद मार्च

न्यूजक्लिक तथा अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी एवं लैपटॉप, मोबाइल, कैमरे छीनने के विरुद्ध बेतिया में नागरिक मंच का प्रतिवाद मार्च

पत्रकारों को प्रताड़ित करने, उनके लैपटॉप , मोबाइल फोन तथा कैमरे को छीन लेने की घटनाओं को भारतीय लोकतंत्र में अब तक की सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है

न्यूज़ डेस्क, बेतिया

– अमिट लेख

बेतिया, (मोहन सिंह)। न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ तथा प्रशासक अमित चक्रवर्ती की यूएपीए कानून में गिरफ्तारी, न्यूज़क्लिप के कार्यालय में तालाबंदी तथा पत्रकारों को प्रताड़ित करने, उनके लैपटॉप , मोबाइल फोन तथा कैमरे को छीन लेने की घटनाओं को भारतीय लोकतंत्र में अब तक की सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है। इसके पूर्व बीबीसी, दैनिक भास्कर, भारत समाचार, न्यूज लॉन्ड्री, द वायर, द कश्मीर वाला आदि को भी जान बूझ कर कुचलने का काम किया है।

फोटो : मोहन सिंह

केंद्र सरकार ने मीडिया को अपने दलगत तथा विचारधारात्मक स्वार्थ के लिए अपने भोंपू में तब्दील करने की कोशिश की है और इसके लिए सरकारी पूंजीपत्तियों द्वारा मीडिया संगठनों के अधिग्रहण को आसान बनाया है। केंद्र सरकार की दमनकारी कार्यवाइयां मुख्य रूप से सरकार के विरुद्ध उठने वाले आवाज, मीडिया संस्थानों तथा पत्रकारों के खिलाफ होती है। जो सत्ता के सामने सच बोलते हैं। विडंबना यह है कि जब हम देश में नफरत तथा विभाजन कारी ताकतों तथा भड़काने वाले पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हैं। तो केंद्र सरकार को उस समय लकवा मार जाता है। राष्ट्रीय हित में केंद्र सरकार के लिए वही मुनासीब होगा कि राष्ट्रहित पर ध्यान दे। न कि अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए , लोगों का ध्यान मुद्दे से हटाने के लिए मीडिया को निशाना बनाना बन्द करे। ज्ञातव्य है कि यू ए पी ए कानून आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए लाया गया था। जिसका इस्तेमाल कोरेगांव से न्यूजक्लिक तक केंद्र सरकार की जन विरोधी कारवाइयों के विरुद्ध बोलने वाले पत्रकारों या स्वतंत्र विचार रखने वाले आम लोगों के ऊपर इसका नाजायज इस्तेमाल हो रहा है जबकि यह कानून आतंकवाद के खिलाफ बना था। पश्चिम चंपारण के जिला मुख्यालय बेतिया में शनिवार को नागरिक मंच द्वारा प्रतिवाद मार्च निकाला गया । प्रतिवाद मार्च सरकार की करवाई की तीव्र भर्त्सना करती है तथा पत्रकारों और स्वतंत्र विचार रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध यू ए पी ए जैसे आतंकवादी कानून को अविलंब वापस कर पत्रकारों को रिहा करने तथा न्यूजक्लिक के कार्यालय को खोलने की मांग करती है। आज के प्रतिवाद मार्च में प्रो. समशुल हक, पंकज, म. सकील, प्रभुराज नारायण राव , अमानुल हक, आशुतोष बरनवाल, डा. एजाज अहमद, सैयद फैज अहमद एडवोकेट, मोहन सिंह, अतुल कुमार, राजकुमार, प्रभुनाथ गुप्ता, म. हनीफ, शंकर कुमार राव, वी के नरुला, नीरज बरनवाल, राणा प्रसाद, जफर इमाम, सहाबुद्दीन, अक्षय कुमार आदि शामिल थे।

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