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सदर अस्पताल के जी.एन.एम. भवन में अवस्थित एन. सी. डी. क्लिनिक में “ग्लोबल आयोडीन अल्पता विकार बचाव दिवस” के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया
न्यूज़ डेस्क, भोजपुर ब्यूरो
अरुण कुमार ओझा, अनुमंडल ब्यूरो
– अमिट लेख
आरा/भोजपुर। सदर अस्पताल के जी.एन.एम. भवन में अवस्थित एन. सी. डी. क्लिनिक में “ग्लोबल आयोडीन अल्पता विकार बचाव दिवस” के अवसर पर एक संगोष्ठी ( Symposium) का आयोजन किया गया जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ आम जनमानस में आयोडीन की कमी से होने वाली विषमताओं के संबंध में जानकारियां साझा किया गया। इस अवसर पर औडियो-विजुअल तरीके से डॉ. प्रवीण कुमार सिन्हा, गैर-संचारी रोग पदाधिकारी ने आयोडीन अल्पता के संबंध में सरकारी निर्देशों एवं लोगों मे होने वाली सभी बिमारियों के संबंध में विस्तृत जानकारी पर प्रदान किया। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में १.५ बिलियन लोगों एवं भारत वर्ष में २०० मिलियन लोगों में आयोडीन अल्पता रोग होने की संभावना है। भारत सरकार ने २००६ में ही बिना आयोडीन युक्त नमक पर बैन लगा चुकी है। हमारे देश में सन् २००५-०६ में मात्र ७३% लोग आयोडीन युक्त नमक इस्तेमाल कर रहे थे पर सन् २०१५-१६ में ९३% लोग आयोडीन युक्त नमक का सेवन कर रहे हैं। आयोडीन अल्पता विकार से बचाव का एक मात्र उपाय है कि हम आयोडीन युक्त नमक हमेशा इस्तेमाल करें और गर्भावस्था और बच्चे को स्तनपान की अवधि में आयोडीन की मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता है। बच्चों में ९० माईकोग्राम, वयस्कों में १३० माईकोग्राम तो गर्भावस्था में १९० माईकोग्राम और बच्चे को स्तनपान के अवधि में २२० माईकोग्राम की आवश्यकता है। आयोडीन की कमी से हमारे मस्तिष्क के विकास पर सीधे प्रभाव पड़ता है और हमें मंदबुद्धि का शिकार बनाता है। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी होने से बच्चे में क्रेटिनिस्म यानी बौनापन होता है और बच्चे का स्तनपान के अवधि में आयोडीन की कमी बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास पूरा नहीं होने देता है और बच्चा मंदबुद्धि का हो जाता है। अंततः डॉ प्रवीण कुमार सिन्हा, एन.सी.डी.ओ. ने संपूर्ण भोजपुर वासियों से अपील किया कि बाजार से खुला नमक न लें, पैकेट वाली नमक पर आयोडीन युक्त नमक होने की संपुष्टि करने उपरांत ही घर पर इस्तेमाल करें। बाज़ार में बच्चों के लिए उपलब्ध दूध पाउडर में आयोडीन युक्त होने को सुनिश्चित होने के बाद ही उसका इस्तेमाल करायें।