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जल स्पर्श : अपशिष्ट से धन तक एक आजीविका परियोजना एवं प्रशिक्षण किया जा रहा

संवाददाता कृष्णा प्रसाद की रिपोर्ट :

ग्रामीण हाशिए पर रहने वाली महिलाओं (20% आदिवासी) लाभार्थियों को स्थानीय तालाबों से जलकुंभी निकालने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है

न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला 

कृष्णा प्रसाद

– अमिट लेख

हरनाटाड़, (संवाददाता)। जल स्पर्श-अपशिष्ट से धन तक एक आजीविका परियोजना है जहां ग्रामीण हाशिए पर रहने वाली महिलाओं (20% आदिवासी) लाभार्थियों को स्थानीय तालाबों से जलकुंभी निकालने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

फोटो : कृष्णा प्रसाद

इसके पश्चात् तनों को छांटना, साफ करना और सुखाना (उत्पाद बनाने के लिए कच्चा माल)। अगले चरण के रूप में इनसे हस्तनिर्मित विक्रय योग्य उत्पादों का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, जिन्हें “जल स्पर्श” के नाम से ब्रांड किया जाता है।

छाया : अमिट लेख

इको रूट्स फाउंडेशन ने नॉएडा के 7 गावो में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के सहयोग से सफल पायलट कार्यान्वित किया था। वर्तमान में यह परियोजना का क्रियान्वन अगले चरण में है जहां यह भारत के 5 राज्यों के 100 गांवों में 2000 महिलाओं तक पहुंच रही है।

प्रशिक्षण कार्यशाला में महिलाओं की रही आकर्षक भागीदारी

कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण हाशिए पर रहने वाली महिलाओं को आय सृजन के अवसर प्रदान करना और साथ ही उनके स्थानीय जल निकायों को पुनर्जीवित करना है। ये 5 राज्य हैं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश और असम। असम और बिहार दो राज्य कुल 2000 में से परियोजना के 400 आदिवासी लाभार्थियों के लिए योगदान देने जा रहे हैं। अब यह परियोजना 5 राज्यों में लागू की जा रही है और महिलाओं को उत्पादन के लिए प्रशिक्षण शुरू किया जाना था।

छाया : अमिट लेख

प्रशिक्षण का पहल करने के लिए बिहार को चुना गया क्योंकि यह पहला राज्य है जहां प्रशिक्षण का पहला मॉड्यूल वर्तमान में प्रक्रियाधीन है, जहां 10 गांवों की 200 महिलाओं को सिखाया जा रहा है कि निकाली गई जलकुंभी से विकृत योग्य उत्पाद कैसे बनाएं। बिहार में यह परियोजना सपोर्ट फाउंडेशन द्वारा क्रियान्वित की जा रही है और इसके संस्थापक और अध्यक्ष श्री रंगीश ठाकुर परियोजना के कार्यान्वयन से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। परियोजना की मास्टर ट्रेनर सुश्री मोनिका कपूर विभिन्न महिला आजीविका परियोजनाओं में जुडी होने के साथ-साथ पायलट से लेकर इस बड़े प्रोजेक्ट तक इन प्रशिक्षणों का प्रबंधन और संचालन कर रही हैं। वह इको रूट्स फाउंडेशन के संस्थापकों और ट्रस्टियों में से एक हैं जो देश भर में परियोजना कार्यान्वयन संगठन है। थारू कल्याण महासंघ के अध्यक्ष हेमराज पटवारी ने प्रशिक्षण शुरू किया, क्योंकि महिला लाभार्थी थारू जनजाति से हैं जो बिहार में अनुसूचित जनजातियों में से एक है। महिला लाभार्थी प्रशिक्षण में बहुत ध्यान दे रही हैं और उन्होंने परियोजना की सफलता के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने का वादा किया है। परियोजना के राष्ट्रीय परियोजना प्रमुख श्री निपुण कौशिक ने विस्तार से बताया कि यह परियोजना 17 एसडीजी में से 9 को कैसे प्रभावित कर रही है।

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