जिला ब्यूरो संतोष कुमार की रिपोर्ट :
सोमवार को प्रतिवाद दिवस पत्तरघट्टी स्थित ठाकुर प्रसाद के स्मारक पर आयोजित किया गया
न्यूज़ डेस्क, जिला सुपौल
संतोष कुमार
– अमिट लेख
सुपौल, (ए. एल. न्यूज़)। जिले के त्रिवेणीगंज नगर परिषद क्षेत्र में रेलवे द्वारा जबरदस्ती जमीन अधिग्रहण एवं कानूनों को ज्यादा दमनकारी करने के मुद्दे पर जिला किसान संघर्ष समिति और भाकपा माले का संयुक्त रूप से सोमवार को प्रतिवाद दिवस पत्तरघट्टी स्थित ठाकुर प्रसाद के स्मारक पर आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता किसान नेता कॉमरेड अच्छेलाल मेहता ने की। सभा की शुरुआत में किसान नेताओं ने समाजवादी नेता शरद यादव के जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दिया। सभा को सम्बोधित करते हुए शरद यादव के पुराने साथी व प्रसिद्ध समाजवादी नेता व जेपी सेनानी जितेंद्र कुमार अरविन्द ने शरद यादव को याद करते हुए बताया की वो एक महान समाजवादी नेता थे जो की समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलते थे, आज संविधान पर जब बराबर हमला किया जा रहा है तब आज शरद जी और ज्यादा प्रसंगिक हो गए है।
आज सरकार पुरे जिले में गैरमजुरवा खास के नाम पर जमीन का मुआवजा नहीं दे रही है। हमारा मांग है की 11-11-2014 को राजयपाल के गजट के बाबजूद भी 1-1-46 के पूर्व के जमीन पर लगे सभी प्रतिबंध वापस लिया जाए साथ ही जमींदारी उन्मूलन की अंतिम तिथि तक की गई बंदोबस्ती को बरकार रखा जाए। उन्होंने कहा आज अगर शरद यादव संसद मे होते तो हम किसानों के इस मुद्दे पर जरूर सरकार का बिरोध करते। सभा को सम्बोधित करते हुए किसान नेता सुरेश कुमार यादव ने कहा की सरकार और प्रशासन बुलडोजर लाकर दर्जनों घरों को बिना पूर्व सूचना के तोड़ दिया गया और अभी इस मौसम मे बूढ़े, बच्चे, बुजुर्ग सड़क पर रहने को मजबूर है। सरकार नए नए शब्द का इस्तेमाल करके हमलोगो को बरगलाया रही है। बिना मुआवजा के घर से बेघर करना हमारे साथ अन्याय है। मुआवजा को तुरंत दिया जाए जिससे की हमलोगों को नए जगह बसने मे सुविधा हो। गैर मजूरवा खास, बकास,एराजिदार, गैरमजुरवा आम कब्जे मालिकान जमीन के खरीद बिक्री पर रोक हजारों किसानो के सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर चोट है। जिसके कारण किसानों का कोई काम नहीं हो रहा है। इसीलिए जल्द से इस रोक को हटाया जाये। सभा को सम्बोधित करते हुए माले जिला सचिव कॉमरेड जयनारायण यादव ने कहा की समाज के विभिन्न तबकों और न्याय बिरादरी द्वारा तीन नयी फौजदारी संहिताओं – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- जो कि 01 जुलाई से लागू हो रही हैं ये गंभीर चिंता का विषय है। ये तीनों संहिताएं क्रमशः भारतीय दंड संहिता 1860 ; दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेंगी। प्रथमतः यह इंगित किया गया है कि जो मूलभूत नागरिक स्वतंत्रताएं हैं, जैसे बोलने की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, किसी के साथ जुडने की स्वतंत्रता, प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता और अन्य नागरिक अधिकारों को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए कई कठोर प्रावधान किए गए हैं। ये सब हमारे मुलभुत और लोकतान्त्रिक अधिकारों पर हमला है जिसके खिलाफ माले सदन से लेकर संसद तक प्रतिरोध कर रही है और जबतक ये कानून पर रोक नहीं लगाती तबतक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।कार्यक्रम में राहुल कुमार यादव, ज्योतिष यादव,डॉ अमित चौधरी, श्री भागवत यादव, दिनेश राम, सुजेंद्र शर्मा सहित दर्जनों किसान वो नेता मौजूद थे।