बेतिया से हमारे उप संपादक मोहन सिंह की रिपोर्ट :
14 सितंबर को आयोजित होगा लोक अदालत
संपादकीय डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। आगामी दिनांक 14 सितंबर को आयोजित होने वाले तृतीय नेशनल लोक अदालत की सफलता हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अमरेंद्र कुमार राज ने प्रशिक्षु जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह के साथ बैठक की। प्राधिकार के सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि इस नेशनल लोक अदालत के लिए प्रचार रथ के माध्यम से अधिक से अधिक प्रचार किया जाए ताकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को इस नेशनल लोक अदालत के लिए जागरूक किया जा सके। वही विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से भी इस नेशनल लोक अदालत का प्रचार-प्रसार करने पर विशेष बल दिया। साथ ही बैठक के दौरान अन्य वैकल्पिक प्रचार-प्रसार की संभावना भी तलाशी गयी। वही सचिव द्वारा बताया गया कि लोक अदालत का आयोजन आम जनमानस के समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु किया जाता है। लोक अदालत में मामला उसी दिन समाप्त हो जाता है।लोक अदालत में मामला रखवाने के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, यहां तक की यदि पूर्व में न्यायालय शुल्क का भुगतान किया गया है तो उसे भी पक्षकार को वापस कर दिया जाता है। पक्षकार न्यायालय में दाखिल होने के पूर्व भी अपने मामलों को सुलह के आधार पर निष्पादन कर सकते हैं।इस नेशनल लोक अदालत में सुलहनीय अपराधीक वाद, माप तौल, खनन, बीमा दवा कंपनी, बैंक लोन, लेबर एक्ट , वन विभाग से संबंधित सुलाहनीय वादों का निपटारा किया जाएगा।
लोक अदालत की विशेषताएँ :
समझौते पर आधारित समाधान : लोक अदालत में मामले बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के आपसी समझौते से हल किए जाते हैं।
न्यायिक शुल्क नहीं :
लोक अदालत में कोई भी न्यायिक शुल्क (court fees) नहीं लिया जाता। अगर मामला अदालत में है और लोक अदालत में सुलझा लिया जाता है, तो पहले से जमा कोर्ट फीस भी वापस मिलती है।
अपील की गुंजाइश नहीं :
लोक अदालत में दिए गए फैसले पर अपील नहीं की जा सकती, क्योंकि वह दोनों पक्षों की सहमति से होता है।
मामले का त्वरित निपटान :
यहाँ मामलों का निपटान अदालतों की तुलना में जल्दी होता है, जो आम लोगों को राहत प्रदान करता है।
स्वैच्छिक और सहमति आधारित प्रक्रिया :
दोनों पक्ष अपनी मर्जी से लोक अदालत में अपने मामले को सुलझाने के लिए आते हैं।
लोक अदालत के लाभ :
न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम होता है। दोनों पक्षों के बीच आपसी संतोषजनक समाधान। निर्णय की त्वरित क्रियान्विति। जनता के लिए सस्ती और सुलभ न्याय प्रणाली।