



बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :
गुरु-शिष्य परम्परा योजना से जीवंत होंगी लोक और शास्त्रीय कलाएँ
गुरु-शिष्य परम्परा से सहेजी जाएगी बिहार की सांस्कृतिक धरोहर
युवाओं को परंपरागत विलुप्तप्राय पारम्परिक लोक एवं शास्त्रीय कलाओं का प्रशिक्षण देंगे गुरु
इच्छुक गुरु 31 अगस्त तक करें आवेदन
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चंपारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा “मुख्यमंत्री गुरु शिष्य परम्परा योजना” की शुरुआत की गई है। इस योजना का उद्देश्य बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, दुर्लभ एवं विलुप्तप्राय पारम्परिक लोक और शास्त्रीय कलाओं यथा-लोक गाथा, लोक नृत्य, लोक संगीत, लोक वाद्य यंत्र, लोक शास्त्रीय कला, चित्रकला का संरक्षण तथा उन्हें नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।
इसके तहत विशिष्ट गुरुओं के मार्गदर्शन में युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, राकेश कुमार ने बताया कि यह योजना बिहार की गौरवशाली सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत बनाए रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को परंपरागत कलाओं में प्रशिक्षित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत चयनित गुरुओं को प्रतिमाह 15 हजार रुपये, संगत कलाकारों को 7500 रुपये तथा शिष्य को 3 हजार रुपये बतौर मानदेय दिया जाएगा।
योजना के अंतर्गत पात्रता हेतु अनिवार्य शर्तें :
* गुरु की आयु कम से कम 50 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
* गुरु का मूल निवास बिहार राज्य में होना अनिवार्य है।
* संबंधित विलुप्तप्राय विद्या या कला में न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव होना चाहिए।
* गुरु के पास प्रशिक्षण देने हेतु उपयुक्त स्थान अथवा पृथक प्रशिक्षण केन्द्र की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।
आवेदन प्रक्रिया :
* आवेदन विभाग द्वारा निर्धारित प्रपत्र में करना होगा।
* योजना की विस्तृत जानकारी विभागीय वेबसाइट https://state.bihar.gov.in/yac/ पर उपलब्ध है।
* आवेदन के साथ आवश्यक प्रमाण पत्रों को संलग्न करते हुए, सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, विकास भवन सचिवालय, पटना में स्पीड पोस्ट अथवा हाथों-हाथ जमा करना होगा।
* आवेदन की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 तय की गई है। इसके अतिरिक्त, इच्छुक गुरु अपने जिले के कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के कार्यालय में भी आवेदन जमा कर सकते हैं।