



बगहा पुलिस जिला से हमारे संवाददाता की रिपोर्ट :
बगहा के खैरटवा समेत तमकुही में गंडक और मसान नदियों से हों रहें कटाव नें ग्रामीणों और किसानों के लिए अलग मुसीबत खड़ी कर दिया है
वाल्मीकिनगर के चकदहवा, बीन टोली, झंडू टोला, कान्हा टोली और टंकी बाज़ार, ई टाइप कॉलोनी, दरदरी गाँव समेत वाल्मीकि ब्याघ्र परियोजना के जंगल में बाढ़ का पानी घुसकर भारी तबाही मचा रहा है
न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला
जगमोहन काजी
– अमिट लेख
बगहा, (ए.एल.न्यूज़)। दरअसल तीन दिनों से हों रहीं वर्षा के बाद बुधवार को इस मानसून सत्र में वाल्मीकिनगर गंडक बराज़ से नदी में सर्वाधिक 1.97 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।

लिहाजा गंडक और मसान समेत पहाड़ी नदियों के जलस्तर में इज़ाफ़ा हों रहा है। हालांकि, बहुत बड़े खतरे की बात अभी नहीं है लेकिन यदि वर्षा का रुख लगातार ऐसे हीं बिगड़े रहा तोयह चौँकाऊ नहीं की प्रशासन को और विशेष राहत कार्य अपनाने की जरुरत होगी। बताते चले कि गंडक नदी का जलस्तर अभी औसतन बहाव में चल रहा है।

लेकिन अगर 3-4 लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज जब करना जरुरी बन जाएगा तो जनजीवन के लिए दिक्क़त बढ़ेगी। बावजूद, इसके वाल्मीकिनगर के चकदहवा, बीन टोली, झंडू टोला, कान्हा टोली और टंकी बाज़ार, ई टाइप कॉलोनी, दरदरी गाँव समेत वाल्मीकि ब्याघ्र परियोजना के जंगल में बाढ़ का पानी घुसकर भारी तबाही मचा रहा है।

बताया जा रहा है की कई कच्चे व झोपडीनुमा घर व दालान समेत बथान मवेशियों के बीच बाढ़ के पानी में घिर गए हैं। जबकि, चकदहवा-भेड़िहारी सड़क पर कमर भर पानी का बहाव होनें से लोग जान जोखिम में डालकर आवाज़ाही को मजबूर हैं। उधर बगहा के खैरटवा समेत तमकुही में गंडक और मसान नदियों से हों रहें कटाव नें ग्रामीणों और किसानों के लिए अलग मुसीबत खड़ी कर दिया है।

हालांकि जल संसाधन विभाग और प्रशासन की टीमें निगरानी में जुटी हैं। ख़ुद डीएम नें बांधों के सतत निगरानी के निर्देश दिए हैं। जबकि सीओ आपदा की घड़ी से निपटने को पूरी तरह तैयार हैं। यहीं, वज़ह है की अभी सैलाब की दस्तक के बाद हीं प्रशासन अलर्ट मोड में है और दियारा के निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित व ऊँचे स्थानों की ओर रहने की अपील की जा रही है।

सुरक्षा के लिहाज से नौरंगिया थानाध्यक्ष शुभम कुमार दल बल के साथ बगहा-वाल्मीकिनगर मुख्य सड़क के हरदिया चांती में ख़ुद निगरानी कर बच्चों से पानी के बीच नहीं जाने की अपील करते हुये वाहनों और यात्रियों को आर पार करवानें में जुटे हैं। बता दें की मौसम विभाग नें बिहार के कई जिलों में भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है जिसका असर भी अब देखा जानें लगा है अब मानसून की समाप्ति पर झमाझम वर्षा हों रही है जिससे जनजीवन थोड़ा प्रभावित नज़र आ रहा है, लेकिन राहत की बात यह है कि धान व गन्ना की फ़सलों के लिए यह बारिश वरदान और लाभकारी साबित हुई है, इसके साथ हीं चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्मी से लोगों को भारी सुकून मिला है। यहीं वज़ह है की किसानों के चेहरे खिल उठें हैं और खेतों में लगीं फसलें लहलहा उठीं हैं। परन्तु नेपाल सीमा और गंडक के तटिय इलाके का बुरा हाल होने लगा है, जहाँ लोगों के जीवन-यापन के साथ हीं उनके मवेशीयों के लिए संकट उत्पन्न होने लगा है। शायद यहीं कारण है कि बाढ़ के कहर से घबराये लोग सड़क पर शासन-प्रशासन से प्रतिरक्षा के लिए गुहार लगाने को विवश है। हालांकि, प्रकृति के इस विकराल दृश्य से इस इलाके के लोग कमोवेष प्रति वर्ष रु-ब-रु तो होते हीं रहते हैँ। लेकिन, आंकड़ों पर गौर किये जाएं तो वाल्मीकिनगर के टंकी बाजार और सिंचाई विभाग के रिहायशी इलाके जल-जमाव जैसे संकट से इस बार अधिक प्रभावित हुआ है।