



24 घंटे के स्पष्टीकरण के बाद विभाग को जवाब का इंतजार
✍ जितेन्द्र कुमार, जिला ब्यूरो
– अमिट लेख
सुपौल, (विशेष)। त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र में लाख कोशिशों के बाद भी निजी स्कूल संचालकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। यू कहें तो विभागीय अधिकारी के आदेश पर स्कूल संचालक की मनमानी भारी पड़ रही है। मामला प्रखंड क्षेत्र के अठारह निजी स्कूल से जुड़ा हुआ है। इन स्कूल के संचालकों ने विभागीय निर्देश के बाद भी अभीतक बच्चों के आंकड़ों की विवरणी विभाग को नही सौंपा है।
इन सभी स्कूल संचालकों से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान सुपौल ने स्पष्टीकरण पूछा है और 24 घंटों के अंदर जवाब मांगा है। पूछे गए स्पष्टीकरण में विभाग ने कहा है कि यू-डाइस 2022-23 के तहत स्टूडेंट प्रोफाइल (एसडीएमएस) मॉड्यूल अंर्तगत बच्चों आंकड़ों की प्रविष्टि प्रारंभ नहीं की गई है। विभागीय निर्देश यू-डायस 2022-23 के तहत स्टूडेंट प्रोफाइल (एसडीएमएस) मॉड्यूल अंतर्गत बच्चों के ऑकड़ों की प्रविष्टि की जानी है। प्रविष्टि हेतु कार्यालय के विभिन्न पत्रों के माध्यम से निजी स्कूल संचालकों को निर्देशित भी किया गया। 05 मई 2023 को जिला शिक्षा पदाधिकारी सुपौल की अध्यक्षता में आहूत बैठक में प्रविष्टि से संबंधित प्रशिक्षण देते हुए प्रोजेक्टर के माध्यम से निजी स्कूल के संचालकों को अवगत कराया जा चुका है। जिसके बाबजूद भी निजी स्कूल के संचालक बच्चों के आंकड़ों को छिपाया है। इसपर विभाग ने खेद जताते हुए यह भी कहा कि अद्यतन तक बच्चों के ऑकडों की प्रविष्टि प्रारंभ नहीं किया गया है। जो विभागीय आदेश की अवहेलना है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि निजी स्कूल के संचालकों द्वारा जानबूझ कर छात्र-छात्राओं संबंधित आंकड़ा को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। मालूम हो कि राज्य परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् पटना द्वारा यू-डायस 2022-23 के तहत स्टूडेंट प्रोफाइल( एसडीएमएस) मॉड्यूल अंतर्गत बच्चों के ऑकड़ों की प्रविष्टि से संबंधित समीक्षा प्रतिदिन करते हुए निर्देश दिया जा रहा है जिन विद्यालयों द्वारा (सरकारी / गैर सरकारी ) कार्य में शिथिलता बरती जा रही है। उन्हें चिन्हित करते हुए नियमानुसार कार्रवाई कर राज्य कार्यालय को प्रतिवेदित करें। राज्य कार्यालय द्वारा शत प्रतिशत आंकड़ों की प्रविष्टि की अंतिम तिथि 15 मई 2023 को निर्धारित किया गया है। उक्त तिथि के बाद पोर्टल बंद हो जाने की सूचना है।बच्चों के आंकड़ों की प्रविष्टि जमा नहीं रहने के कारण जिले की प्रगति असंतोषजनक है। अहस्ताक्षरी को राज्य कार्यालय द्वारा पत्रांक-2595 दिनांक 02.05.2023, पत्रांक – 3120 दिनांक- 11.05.2023 एवं पत्रांक- 3139 दिनांक 11.05.2023 द्वारा लगातार स्पष्टीकरण के साथ प्रपत्र ‘क’ गठित करने की कड़ी चेतावनी दी जा रही है। जिसके लिए आप जिम्मेवार है। इसको लेकर विभाग ने निजी स्कूल संचालकों से 13 मई 2023 को स्पष्टीकरण पूछा गया है। जिसका जवाब अभीतक निजी स्कूल संचालकों के द्वारा नहीं दिया गया है।
अठारह विद्यालय में ये है शामिल :
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान सुपौल ने जिन अठारह निजी विद्यालयों को स्पष्टीकरण पूछा हैं। उसमें प्रखंड क्षेत्र के जुबली हिल्स पब्लिक स्कूल, जनता आवासीय भारत विद्यालय, बीएमएल एकेडमी, आवासीय महर्षि मेंहीं विद्यालय निकेतन बेलोखड़ी, संत कैरेंस पब्लिक स्कूल, सेक्रेट हर्ट हाई स्कूल, पूजा विद्या निकेतन, पाटलिपुत्रा सेंट्रल स्कूल, नीतीश आवासीय पब्लिक स्कूल, न्यू सनराइज रेसिडेंशियल स्कूल, न्यू ज्ञानोदय इंग्लिश स्कूल, संत मेरी स्कूल लतौना, संत मैथ्यू स्कूल, संत मोती दास किड्स केयर एकेडमी, सेंट जॉन बोर्डिंग स्कूल, उर्मिला पब्लिक स्कूल, माँ देवकी पब्लिक स्कूल, 18.क्रियेटिव इंग्लिश स्कूल शामिल हैं।
क्या कहतें है जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान सुपौल :
इस संबंध में पूछे जाने पर कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान सुपौल प्रवीण कुमार ने कहा कि अभीतक इन निजी विद्यालय के संचालकों द्वारा यू-डाइस 2022-23 के तहत स्टूडेंट प्रोफ़ाइल मॉड्यूल अंतर्गत बच्चों के आंकड़ों की प्रविष्टि नहीं करने पर इंडिविजुअली रूप से ऐसे संचालकों से स्पष्टीकरण पूछते हुए उसका जवाब 24 घंटों के अंदर मांगा गया।
लेकिन जवाब अभीतक नही मिला है। राज्य स्तरीय कार्यालय द्वारा शत- प्रतिशत छात्रों के आंकड़ों की प्रविष्टि की अंतिम तिथि 15 मई 2023 निर्धारित की गई थी। जिसे मंगलवार तक बढ़ाया गया था। अगर ऐसे विद्यालय के संचालकों द्वारा छात्रों के आंकड़ों की प्रविष्टि नहीं दी जाती है तो राज्य स्तर से प्राप्त विभागीय निर्देश पर ऐसे विद्यालयों को चिन्हित कर उसे रद्द करने की कार्यवाई की जाएगी। वैसे भी निजी विद्यालय के संचालकों द्वारा इस आदेश की अवहेलना करने को लेकर राज्य स्तर से विभाग द्वारा हमसे चार पांच बार स्पष्टीकरण भी पूछा गया है। उन्होंने कहा कि कुछ निजी स्कूल के संचालकों द्वारा छात्रों के आंकड़ों की प्रविष्टि में हेराफेरी गड़बड़ी की जाती है। जिस पर रोक लगाने के लिए इस तरह के नियम लाये गए है।