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Post: मगरमच्छ के मामले में गंडक नदी चम्बल के मुकाबले दूसरे मुकाम पर

मगरमच्छ के मामले में गंडक नदी चम्बल के मुकाबले दूसरे मुकाम पर

पश्चिम चंपारण जिला की सीमा में बहने वाली गंडक नदी का तट नवजात घड़ियालों से चहक उठा है

दरअसल इस वर्ष 2023 में गंडक नदी किनारे घड़ियालों के 9 घोंसले मिले, जिनसे 125 बच्चों का जन्म हुआ और उसे सुरक्षित गंडक नदी में छोड़ा गया

✍️ सह-संपादक

– अमिट लेख

बेतिया, (मोहन सिंह)। वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की कवायद के बाद बिहार के लिए बड़ी खुशखबरी है। पश्चिम चंपारण जिला की सीमा में बहने वाली गंडक नदी का तट नवजात घड़ियालों से चहक उठा है। दरअसल इस वर्ष 2023 में गंडक नदी किनारे घड़ियालों के 9 घोंसले मिले। जिनसे 125 बच्चों का जन्म हुआ और उसे सुरक्षित गंडक नदी में छोड़ा गया। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व इन दिनों घड़ियालों की चहचहाअट से गुंजायमान है। बता दें की वन एवं पर्यावरण विभाग, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया और कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स जू के सहयोग से गंडक नदी में घड़ियाल के 125 बच्चों का सुरक्षित हैचिंग कराया गया है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के अधिकारी सुब्रत के बहेरा ने बताया की गंडक नदी किनारे नौ जगहों पर घड़ियाल के अंडे पाए गए। जिसमें 8 स्थानों पर बिहार में अंडे मिले और एक यूपी के कुशीनगर क्षेत्र में। जिसके बाद किसानों के सहयोग से उसका संरक्षण किया गया।

सुब्रत के बहेरा ने बताया की इन सभी नौ जगहों से मिले अंडों को मछुआरों और किसान की सहायता से हैचिंग कराया गया जिसमें 125 घड़ियाल के बच्चों ने जन्म लिया। और उन्हें गंडक नदी में सुरक्षित छोड़ दिया गया। बहेरा ने किसानों और मछुआरों की सराहना करते हुए कहा की अति संकटग्रस्त घड़ियालों के अंडों को बाढ़ व कटाव से बचाने समेत जंगली जानवरों से सुरक्षित करने में किसान और मछुआरों ने काफी सहयोग किया। बता दें की विगत पांच-छः वर्षों से वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट और वन एवं पर्यावरण विभाग घड़ियालों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर काफी सजग हुआ है और प्रत्येक वर्ष अंडों के जगह को चिन्हित कर उनका संरक्षण किया जाता है और फिर हैचिंग कराई जाती है। ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में नवजात घड़ियालों ने जन्म लिया। खास बात यह है कि ये घड़ियाल विलुप्त हो चुके डायनासोर प्रजाति के हैं। घड़ियाल देश दुनिया से विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं। ऐसे में गंडक नदी में इनकी अच्छी संख्या होना एक सुखद खबर है। गौरतलब है कि 2016 में भारतीय प्रजाति के घड़ियालों का सर्वे हुआ था, जिसमें गंडक नदी में केवल एक दर्जन ही घड़ियाल मिले थे। जबकि अब इनकी संख्या तकरीबन 500 के आसपास हो गई है। तभी इनके बढ़ती संख्या को देखते हुए संवर्धन (पालन-पोषण ) के लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं। ऐसे में संख्या के लिहाज से देखा जाए तो भारत में चंबल नदी के बाद सबसे ज्यादा घड़ियालों की संख्या गंडक नदी में ही है।

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