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पश्चिम चम्पारण : होमियोपैथिक दवा विक्रेता करते हैँ मरीजों का ईलाज

बेतिया डेस्क से मोहन सिंह की कलम : 

लाइसेंस थोक होमियोपैथिक दवा विक्रेता का काम मरीजों का ईलाज करना

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ब्यूरो डेस्क)। एक तरफ जहां सरकार द्वारा आयुष चिकित्सा पद्धति में शामिल होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए जोर शोर से प्रसार किया जा रहा है, वही दूसरी तरफ पश्चिमी चंपारण जिले में थोक विक्रेता के लाइसेंस प्राप्त होमियोपैथिक दवा विक्रेता मरीजों का ईलाज भी करते हैं। भले ही इन दवा दुकानदारों को न ही बीमारी की जानकारी दवा की खुराक और न ही दवा की मात्रा (पोटेंसी) का पता हो।

●जिला मुख्यालय बेतिया में आधा दर्जन है ऐसे दवा दुकानदार●

बताया जाता है कि जिला मुख्यालय बेतिया मे मुख्य पथ सहित हर चौराहे पर करीब दर्जनों ऐसे होमियोपैथी दवा दुकानदार है। जो, थोक विक्रेता का लाइसेंस लिए है और हर रोज सुबह से शाम तक खुलेआम मरीजों की जान से खिलवाड़ करते है। वही सूत्रों की माने तो जिले के।स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इन दवा दुकानदारों द्वारा खुलेआम भोलेभाले मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है।जानकर सूत्र बतातें है कि इन दवा दुकानदारों द्वारा हर माह नजराना देकर इस धंधे को खुलेआम चलाया जा रहा है

●बीमारी की पहचान, दवा की पहचान, पोटेंसी, मात्रा, खुराक आदि की होनी चाहिए जानकारी●

वही होमियोपैथिक चिकित्सकों का मानना है कि सबसे पहले किसी भी चिकित्सक को बीमारी की पहचान,लक्षण की पूरी जानकारी होनी चाहिए।चिकित्सकों के अनुसार होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में दवाओं का चयन भी बहुत ही सावधानीपूर्वक करना होता है क्योंकि इसमें ऐसी ऐसी दवाएं है जो एक दूसरे की शत्रु है अगर सावधानी पूर्वक बीमारी के अनुसार दवाओ का चयन नही किया जाय तो बीमारी ठीक होने के बजाय और बढ़ सकती है इससे मरीज की परेशानी और बढ़ जाती है।

●मरीज़ों के ईलाज के लिए चिकित्सक की डिग्री के एवं राज्य में पंजीयन अनिवार्य●

सरकारी नियमानुसार होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति से मरीजों का ईलाज करने के लिए बीएचएमएस या डीएचएमएस की डिग्री के साथ साथ बिहार राज्य होमियोपैथी चिकित्सा बोर्ड में पंजीकृत होना जरूरी है।

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