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Post: गांव छोड़कर एक दिन के लिए वनवास पर चले जातें है ग्रामीण यह अनोखी परंपरा सौ वर्षों से चली आ रही है

गांव छोड़कर एक दिन के लिए वनवास पर चले जातें है ग्रामीण यह अनोखी परंपरा सौ वर्षों से चली आ रही है

जिला ब्यूरो नसीम खान “क्या” की रिपोर्ट :

गांव छोड़कर एक दिन के लिए वनवास पर चले जातें है ग्रामीण यह अनोखी परंपरा सौ वर्षों से चली आ रही है

न्यूज डेस्क, बगहा पुलिस जिला

नसीम खान “क्या”

अमिट लेख 

बगह (ब्यूरो डेस्क)  । बगहा के नौरंगिया गांव में एक अनोखी परंपरा का पालन ग्रामिणों द्वारा किया जाता है।इस गांव के सभी लोग एक दिन के लिए वनवास पर चले जाते हैं।कहा जाता है कि यह परंपरा करीब 100 वर्षों से चली आ रही है।लोग अपने साथ-साथ अपने पालतू जानवरों को भी साथ ले जाते हैं।गांव के स्थानीय लोगों द्वारा यह कहा जाता है कि नौरंगिया गांव में 100 साल से भी अधिक समय से वनवास की परंपरा चली आ रही है।ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें देवी के प्रकोप से छुटकारा मिलता है।

कहा जाता है कि यह गांव बीते कई सालों पहले प्राकृतिक आपदाओं और महामारियों का शिकार था। यहां हैजा और चेचक से सभी लोग पीडित थे। गांव में कई बार आग भी लग जाया करती थी। मान्यता है कि इस गांव के एक बाबा परमहंस साधू ने देवी माता को अपने सपने में देखा, जिसमें उन्होंने लोगों के कष्ट निवारण हेतु सभी गांव वालों को वनवास ले जाने के लिए कहा था। तब से लेकर आज तक यहां हर साल इस प्रथा का पालन किया जाता है। नवमी के दिन लोग अपने घरों को छोड़ देते हैं और पूरा दिन भजनी कुट्टी, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बिताते हैं, जहां वे मां देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। सूत्रों की मानें तो वन प्रशासन ने शुरू में जंगल में इतने लोगों देखकर रोकने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में, उन्होंने अपने असफल प्रयासों के कारण हार मान ली।

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