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नाबालिगों के हाथ पर ई-रिक्शा का स्टेरिंग, खतरे में जान

जिला ब्यूरो संतोष कुमार की रिपोर्ट :

नाबालिगों के हाथ पर ई-रिक्शा का स्टेरिंग, खतरे में जान 

न्यूज डेस्क, सुपौल

संतोष कुमार

अमिट लेख 

सुपौल (ब्यूरो डेस्क) : जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडल क्षेत्र में सड़क पर निकल रहे हैं। तो होशियार रहिए। सड़क पर वाहन लेकर फर्राटा भर रहे नाबालिग कभी भी आपको अपनी चपेट में लेकर हताहत कर सकते हैं। मार्गो पर इनकी रफ्तार हवा से बातें करने वाली होती हैं। ई-रिक्शा का संचालन भी बड़े पैमाने पर नाबालिग कर रहे हैं। नियमानुसार यह गलत है। इनके पास न तो लाइसेंस है। और न ही वाहन चलाने की परिपक्वता। ऐसे में दुर्घटना होने का भय रहता है। लोगों की जान खतरे में डालकर फर्राटा भरने वाले ऐसे वाहन चालकों पर नजर पड़ने के बाद भी पुलिस ने उन्हें यातायात नियम बताना मुनासिब नहीं समझ रही है। बैट्री से चलने वाला ई-रिक्शा बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार का माध्यम बन गया है। प्रदूषण स्तर कम करने और बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए जहां एक ओर ई-रिक्शा का संचालन शुरू किया गया था। वहीं अब ई-रिक्शा परेशानी का सबब बन गए हैं। सड़कों पर बाइक चलाते नाबालिग अक्सर दिखाई दे जाते है। लेकिन सवारी वाहनों को भी यह नाबालिग धड़ल्ले से चला रहे है।

नाबालिगों के हाथ पर ई-रिक्शा का स्टेरिंग, खतरे में जान

गंभीर बात यह है। कि इन सवारी वाहनों को यह नाबालिग दूर दराज ग्रामीण इलाकों तक नहर के रास्तों से होकर भी ले जाते हैं। कभी भी गंभीर हादसा होने की संभावना बनी रहती है। नाबालिग सबसे ज्यादा ई-रिक्शा बाजारों की सड़कों पर चलाते हुए दिखाई दे जाएंगें। बैटरी का ई-रिक्शा होने से इसके लाइसेंस की भी जांच नहीं की जाती। तिपहिया वाहन होने के बावजूद ज्यादातर इसे बिना किसी व्हीकल के लाइसेंस के चलाते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि नगर की सड़कों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक ई-रिक्शा सवारियां ढोते है। इनमें कई ई-रिक्शा को नाबालिग ही चला रहे है। महज 10, 12,14 से 15 साल के यह किशोर इन ई-रिक्शा को चलाते हुए दिखाई दे जाएंगे। जिनमें सवारियां भरकर ले जाते हैं। ऐसे में यह कई बार यह हादसे के शिकार भी हो जाते है। दरअसल तिपहिया वाहन होने से यह कहीं भी पलट भी जाते हैं। मुसीबत यह है कि इन नाबालिग ड्राइवरों की वजह से वाहन भी हादसे का शिकार हो जाते है। इसकी वजह है कि यातायात के नियमों की जानकारी न होने से यह मनमाने तरीके से ही सड़कों पर ई-रिक्शा चलाते है।कभी भी न साइड लेने का तरीका और न ही मोड पर चलाने की जानकारी। जिसकी वजह से दूसरे वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो जाते है। शहर में यह ई-रिक्शा दिखाई दे जाएंगें। लेकिन कभी भी पुलिस इनको रोककर कार्रवाई नहीं करती। इन नाबालिगों से ई-रिक्शा चलवाने वालों की भी पड़ताल नहीं की जाती। जो अपनी तो जान जोखिम में डालते ही है। साथ ही दूसरे वाहन चालकों के लिए भी हादसे की वजह बन सकते हैं।

कमाई के फेर में दुर्घटना को आमंत्रण 

मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत कोई भी 18 बर्ष से कम उम्र का व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर वाहन नहीं चला सकता । लेकिन, यहां तो कमाई के फेर में 18 बर्ष से कम उम्र के नाबालिग भी ई-रिक्शा चला रहे हैं। ऐसे चालकों की छानबीन नहीं किए जाने से परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ रही है।

ज्यादा सवारी होने पर खड़ा होकर चलाते हैं वाहन 

ई-रिक्शा में पीछे चार लोगों के बैठने की जगह है। बाबजूद इसके अधिक पैसा कमाने के चक्कर में चालक पीछे पांच से छह और अपनी सीट पर दो से तीन लोगों को बैठाकर फर्राटा भर रहें हैं। अधिकांश ऐसा देखा जा रहा है कि आगे की सीट पर दो से तीन लोगों के बैठने के दौरान चालक खड़ा होकर वाहन चला रहे हैं। जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।

कहते हैं जिला परिवहन पदाधिकारी मोहम्मद मंजूर आलम

ऐसे चालकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जाती रही है। त्रिवेणीगंज में भी अभियान चलाया जाएगा। जो भी नाबालिग चालक वाहन चलाते हुए पाए जाएंगे उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। नियम -कानून से खिलवाड़ करने की किसी को छूट नही दी जाएगी।

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