



बेतिया से उप संपादक मोहन सिंह की रिपोर्ट :
विधानसभा में भाकपा-माले विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने उठाया खाली पदों पर डाक्टरों को पदस्थापित करने की मांग
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चंपारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। प्रखण्ड और पंचायत के अस्पतालों में डाक्टरों की संख्या नहीं के बराबर है, यहां तक की जो हाल के दिनों के नये बने अस्पतालों में न डाक्टर हैं, न नर्स है, पैथोलॉजी है न दवाई, जिसका सीधा असर गरीबों पर पडता है, इन अस्पतालों में तत्काल डाक्टरों, नर्सो, पैथोलॉजीन और दवाई की व्यवस्था करने की मांग बिहार विधानसभा में भाकपा-माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने उठाया, आगे कहा कि बिहार सरकार के ही जातिय और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में आया है कि मासिक 10 हजार से कम आय वाले परिवारों की संख्या आधी आबादी से अधिक है, वैसी स्थित में 62℅ से अधिक आबादी को प्राइवेट अस्पतालों में भारी भरकम राशि खर्च करने की स्थिति नहीं है, गरीबों की मौत सरकार की लापरवाही से हो रहीं हैं । विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने आगे कहा कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल यह है कि 10 हजार की आबादी पर महज 8 डॉक्टर और दो नर्स है, झारखंड-यूपी सहित अन्य राज्यों की स्थिति से बिहार की स्थिति बहुत खराब है, 20 वर्षों से बिहार में नितीश कुमार और भाजपा की सरकार चल रही है विकास का ढोल पीटना जारी है। लेकिन इनके विकास के दायरे में अस्पताल और स्कूल यानि स्वास्थ्य और शिक्षा नहीं है। आगे कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सतत विकास के लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने के लिए प्रति 10 हजार की आबादी को सेवा देने के लिए चिकित्सक व नर्सों की संख्या 45 होनी चाहिए। मगर स्थिति यह है कि बिहार में प्रति 10 हजार की आबादी को सेवा देने के लिए नर्स और डॉक्टरों की संख्या सिर्फ 8 है। चिकित्सक व नर्सों की इतनी कम संख्या में उपलब्ध होने पर स्वास्थ्य सेवाओं का 80 फीसदी आबादी सरकारी स्वास्थ्य सेवा से बंचित है।