



बिहार के छात्रों के हित में डोमिसाइल नीति को वापस लेने एवं शिक्षक नियमावली को स्पष्ट, सरल, स्थाई एवं अनुकूल करने को लेकर के एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया
अरुण कुमार ओझा, अनुमंडल ब्यूरो
– अमिट लेख
आरा/भोजपुर। आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भोजपुर के द्वारा जिला मुख्यालय पर बिहार सरकार का युवाओं के प्रति तानाशाही पूर्ण रवैया तथा स्कूली शिक्षा बहाली में बिहार के छात्रों के हित में डोमिसाइल नीति को वापस लेने एवं शिक्षक नियमावली को स्पष्ट, सरल, स्थाई एवं अनुकूल करने को लेकर के एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया। धरना को संबोधित करते हुए विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सह मंत्री राज पांडे ने कहा कि विद्यार्थी परिषद छात्र हित के लिए सदैव ही अग्रणी भूमिका निभाई है चाहे वह बात जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति की ही क्यों ना हो। बिहार एक युवा प्रधान राज्य है जहां उद्योग एवं कल कारखानों का घोर अभाव है,ऐसे में राज्य के युवाओं के पास रोजगार के दृष्टिकोण से सरकारी नौकरी ही एक उपाय बचता है। सरकारी नौकरी भी कई कई सालों तक नहीं निकलती एवं अगर निकलती भी है तो कई जगह प्रश्न पत्र लीक और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। ऐसे में पिछले माह घोषित 1.70 लाख स्कूली शिक्षकों की बहाली की घोषणा से युवाओं में एक नई उम्मीद जगी। लेकिन कुछ महीने के घटनाक्रम और सरकार के प्रतिनिधियों के बयानों को देखने से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह घोषित नियुक्ति बिहार के युवाओं के खिलाफ षड्यंत्र है एवं जान बूझकर नियुक्ति को लटकाने का प्रयास किया जा रहा है। वही प्रदेश कार्यसमिति सदस्य छोटू सिंह ने कहा कि शिक्षक बहाली प्रक्रिया के बीच में डोमिसाइल नीति को बदलना तकनीकी रूप से गैरकानूनी है। इससे बिहार के बच्चों के लिए अवसर की कमी हो जाएगी। जहां सभी राज्य अपने राज्यों में केवल अपने बच्चों को ही प्राथमिकता देने के लिए डोमिसाइल नीति को लागू करते हैं तो वहीं सभी गैर हिंदी राज्य अपने स्थानीय भाषा का ज्ञान भी आवश्यक कर देते हैं।लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री अपने आप को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के चक्कर में बिहार के युवाओं के भविष्य को अंधकार में डालने का काम कर रहे हैं। शिक्षक बहाली की नियमावली और सिलेबस में जिस प्रकार परिवर्तन हो रहे हैं उससे शिक्षक अभ्यर्थी परेशान है और कन्फ्यूज्ड है,अभी तक 8 बार विज्ञापन में संशोधन किया जा चुका है, जिस प्रकार शिक्षक बहाली निकाली गई है और लगातार जिस प्रकार उसमें संशोधन किए जा रहे हैं इससे यह सिद्ध हो रहा है कि बिना तैयारी के यह बहाली निकाल दी गई है। वही अभाविप के विश्वविद्यालय संयोजक चंदन तिवारी ने बताया कि 2 जुलाई को पटना में शिक्षक अभ्यर्थियों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस के द्वारा किया गया बल प्रयोग शर्मनाक है। इसके लिए छात्रों से बिहार सरकार को माफी मांगनी चाहिए एवं एक उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों को कड़ी सजा देनी चाहिए तथा बिहार के शिक्षा मंत्री के द्वारा दिए गए बयान वापस लेना चाहिए,क्योंकि शिक्षक बहाली के लिए ऑल इंडिया लेवल पर वैकेंसी खोले जाने का जो शिक्षा मंत्री ने तर्क दीया हैं वह बहुत ही शर्मनाक है। बिहार में मेधा की कोई कमी नहीं है और साइंस स्ट्रीम में अभ्यर्थियों की भी कोई कमी नहीं है। शिक्षा मंत्री गणित के लिए अभ्यर्थियों की कमी की बात करते हैं जबकि पूरे देश और दुनिया में गणित के क्षेत्र में बिहारी छात्रों का जलवा रहता है। अतः अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री से अपील करती है कि डोमिसाइल नीति पर संवेदनशील तरीके से पुनर्विचार किया जाए एवं नियमावली को स्पष्ट एवं सरल तरीके से विद्यार्थियों के हित में बनाया जाए। पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को एक समय सीमा के अंदर पूरा करें ताकि बिहार के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए एक उम्मीद की किरण दिखे। धरना का विषय परिवेश प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य ऋतुराज चौधरी ने रखा तथा धन्यवाद ज्ञापन जिला एसएफएस प्रमुख अनूप सिंह ने किया। वही धरना में नगर सह मंत्री अनूप सिंह, उमंग कुमार, प्रकाश चौबे, राजन कुमार, रत्नेश कुमार, आयुष कुमार, चंदन तिवारी, चित्रांश दुर्गेश, तरुण कश्यप, लव राय, तनु प्रिया, ओमप्रकाश, अमित, उज्जवल कुमार, राहुल राय, अंशु सोनी, आलोक बजरंगी, रोहित सिंह, निखिल पांडे, अनुभव सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।